डॉ0 मिथिलेश दीक्षित आस्थावादी विचारधारा और मानवीय मूल्यों की प्रबल पक्षधर मानवतावादी रचनाकार हैं। उन्होने हाइकु–गीत और हाइकु–मुक्तकों में अपनी संवेदनाओं की प्रभावशाली अभिव्यक्ति कर, हिन्दी साहित्य में अपनी सार्थक उपस्थिति दर्ज करने में सफल रही हैं। उन्होने हाइकु–मुक्तकों में अपनी मुक्तक की चार पंक्तियों की प्रत्येक पंक्ति में एक हाइकु–छन्द का सफल प्रयोग ही नहीं किया, बल्कि अधिकांशत: उसे तुकान्त बनाने में भी अपनी क्षमता का परिचय दिया है। वे सादगी और विनम्रता की जीती जागती प्रतिमूर्ति हैं और उनका व्यक्तिव भी हिमालय की मानिंद विशाल है। यह पुस्तक उनके कृतित्व और व्यक्तित्व को रेखांकित करती हुई एक नूतन आयाम का विस्तार करती है। यह पुस्तक विविधता से युक्त, सहज–सम्प्रेषणीय भावों से ओतप्रोत, सीधी–सच्ची भाषा में मन को, स्पर्श करने वाली, आनन्द देने वाली और कहीं–कहीं कुछ गम्भीरता से सोचने को विवश करने वाली है, जो पाठकों को सहज आकर्षित करती है।