आज के दौर में कोई भी व्यक्ति नाकाम नहीं होना चाहता।
आज के प्रतिस्पर्धा से भरे दौर में हर व्यक्ति सफलता के लिए कार्य करता है।
परंतु जाने अनजाने में कई बार अच्छे कार्य करने के पश्चात भी जब परिणाम गलत आते हैं।
तब नाकामी हाथ लगती है।
कई बार ऐसा भी हो जाता है हम कागजी योजनाएं बनाकर रह जाते हैं।
हम लुभावनी घोषणाएं कर देते हैं।
जब उसकी परीक्षा का समय आता है।
परीक्षा देने के पश्चात जब परिणाम नाकामी में आने के कारण बहुत से लोगों को अपने व्यापार, धन और जीवन को हारना पड़ता है।
तब उसे नाकामी ही कहा जाता है।
ऐसी कैसी नाकामी जो व्यापार धन और जीवन को हरा दे।
आइए पढ़िए लेखक मान सिंह नेगी की मनोहर कहानी नाकामी।