उपोद्घात्
माँ सरस्वती की कृपा से मेरी काव्य-यात्रा १९६७ से अबाध गति से अग्रसर है। मेरा उत्साहवर्द्धन मेरे मित्रों से आरम्भ होता हुआ मेरे परिवार के सदस्यों यथा पत्नी आशा सिंघल, पुत्र निशान्त सिंघल व पुत्र-वधू कामिनी सिंघल व मेरी सहायिका अधिवक्ता कामिनी श्रीवास्तव से होता हुआ मेरी अनुजा अंजू कालरा दासन तक पहुँचा।
डॉ. विनय कुमार सिंघल