श्रीशंकरानन्द कृत ईशावास्य दीपिका -
ईशोपनिषद् शुक्ल यजुर्वेदीय शाखा के अन्तर्गत उपनिषद है। प्रमुख् दश उपनिषदों में यह उपनिषद् , अत्यन्त महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। इसमें मात्र १८ मन्त्र हैं । इसमें कोई कथा-कहानी नहीं है, केवल आत्म वर्णन है। इस उपनिषद् के पहले मंत्र ‘‘ईशावास्यमिदंसर्वंयत्किंच जगत्यां-जगत…’’ से लेकर अठारहवें मंत्र ‘‘अग्ने नय सुपथा राये अस्मान् विध्वानि देव वयुनानि विद्वान्…’’ तक ज्ञान, उपासना, कर्म का रहस्य वर्णित है।
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