ट्रेनिंग में समय लग रहा था उसे जाने का उतावलापन भी था । समय तो लगा ट्रेनिंग पूरी होंने में , मुझे लगा आज यह अपने बच्चे का जन्मदिन मनाने जाना चाहती है लेकिन जा नहीं पा रही है मैं उसकी भावनात्मक स्थिति समझ रहा था । मुझे लगा क्यों न इसके बच्चे के लिए एक कविता ही दे दूँ और मैंने छोटी सी चार लाईनें लिखी –
डाक्टर, इंजीनियर और अफसर
तो सभी बन जाएँगे ,
तुम मानस हो ,
बड़े हो कर ,
बस मानस ही बनना ।
जैसे ही ट्रेनिंग पूरी हुई मैंने लोकल को आर्डिनेटर को कहा यह अपने फेकलटी के बच्चे के लिए मेरी तरफ से बर्थ डे गिफ्ट भेज दो बस छोटी सी कविता है ।
वे बोले सर आप ही बोल कर सुना दीजिये ।
मैंने कविता सुना दी ।
मेरे लिए इस कविता के सुनाने के बाद की घटना काफी बड़ी हो गई । उस ट्रेनिंग में मेरे साथ 7 – 8 लोग और बैठे थे जिन पर मैंने ध्यान नहीं दिया था और मेरी कविता के वे भी श्रोता हो गए थे । जैसे ही कविता समाप्त हुई मुझे तालियाँ सुनाई देने लगीं । और जब मैंने चौंक कर देखा तो सभी मेरी इस चार पाँच लाईन पर ताली बजा रहे थे और फिर बोले , सर आपने बहुत सुंदर लिखा है । कहाँ मेरी एक छोटी सी भावना थी कि चलो एक छोटे से बच्चे के लिए कुछ लाईन लिख दें वह भी उसके सुंदर नाम से स्वत: मन में आ गई थीं लेकिन वे लाईनें सुनने वालों को इतनी अच्छी लगेंगी यह मैंने नहीं सोचा था । इतना ही नहीं जिस बच्चे के लिए लिखी हैं उनके पेरेंट्स के मन को भावनात्मक रूप से इस गहराई तक छू लेंगी कि वे अपनी थकान भूल कर इस कविता के लिए कृतज्ञ हो जाएँगे यह भी मैंने नहीं सोचा था । और इसके बाद मुझे आश्चर्य तब हुआ जब सुनने वालों में कुछ लोग बोल उठे सर प्लीज एक मेरे लिए भी लिख दीजिये ।
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