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Jeet Gaye Tum / जीत गए तुम उस दिन समझो

Author Name: Murli Manohar Srivastava | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

ट्रेनिंग में समय लग रहा था उसे जाने का उतावलापन भी था । समय तो लगा ट्रेनिंग पूरी होंने में , मुझे लगा आज यह अपने बच्चे का  जन्मदिन मनाने जाना चाहती है लेकिन जा नहीं पा रही है मैं उसकी भावनात्मक स्थिति समझ रहा था । मुझे लगा क्यों न इसके बच्चे के लिए एक कविता ही दे दूँ और मैंने छोटी सी चार लाईनें लिखी –  

डाक्टर,  इंजीनियर और अफसर

तो सभी बन जाएँगे , 

तुम मानस हो , 

बड़े हो कर , 

बस मानस ही बनना । 

जैसे ही ट्रेनिंग पूरी हुई मैंने लोकल को आर्डिनेटर को कहा यह अपने फेकलटी के बच्चे के लिए मेरी तरफ से बर्थ डे गिफ्ट भेज दो बस छोटी सी कविता है । 

वे बोले सर आप ही बोल कर सुना दीजिये । 

मैंने कविता सुना दी  । 

मेरे लिए इस कविता के सुनाने के बाद की घटना काफी बड़ी हो गई । उस ट्रेनिंग में मेरे साथ 7 – 8 लोग और बैठे थे जिन पर मैंने ध्यान नहीं दिया था और मेरी कविता के वे भी श्रोता हो गए थे । जैसे ही कविता समाप्त हुई मुझे तालियाँ सुनाई देने लगीं । और जब मैंने चौंक कर देखा तो सभी मेरी इस चार पाँच लाईन पर ताली बजा रहे थे और फिर बोले , सर आपने बहुत सुंदर लिखा है । कहाँ मेरी एक छोटी सी भावना थी कि चलो एक छोटे से बच्चे के लिए कुछ लाईन लिख दें वह भी उसके सुंदर नाम से स्वत: मन में आ गई थीं लेकिन वे लाईनें सुनने वालों को इतनी अच्छी लगेंगी यह मैंने नहीं सोचा था । इतना ही नहीं जिस बच्चे के लिए लिखी हैं उनके पेरेंट्स के मन को भावनात्मक रूप से इस गहराई तक छू लेंगी कि वे अपनी थकान भूल कर इस कविता के लिए कृतज्ञ हो जाएँगे यह भी  मैंने नहीं सोचा था । और इसके बाद मुझे आश्चर्य तब हुआ जब सुनने वालों में कुछ लोग बोल उठे सर प्लीज एक मेरे लिए भी लिख दीजिये ।

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मुरली मनोहर श्रीवास्तव

लेखक का परिचय               

नाम: मुरली मनोहर श्रीवास्तव

पिता का नाम: श्री विजय कुमार श्रीवास्तव ( लब्धप्रतिष्ठ साहित्यकार इलाहाबाद)

जन्मस्थान: इलाहाबाद

अध्ययन : बी.ई. मैकेनिकल इंजीनियरिंग (जामिया मिलिया इस्लामिया नई दिल्ली से)

प्रकाशन : नवभारत टाइम्स, दैनिक जागरण, हिंदुस्तान दैनिक, अमर उजाला, राष्ट्रीय सहारा, नई

दुनिया, मेरे सहेली, जागरण सखी सहित विभिन्न दैनिक व पत्रिका में एक हज़ार से अधिक रचनाएँ

प्रकाशित तथा निरंतर प्रकाशन जारी है।

अभी तक लिखी कहानियाँ मेरी सहेली, जागरण सखी व दैनिक जागरण जैसी पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं।

व्यंग्य लेखक के रूप में विशिष्ट पहचान हिन्दी की सभी प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। अमर उजाला व राष्ट्रीय सहारा

में नियमित कॉलम।

वर्तमान में एन टी पी सी मेजा में उप महाप्रबंधक के पद पर कार्यरत 

पुस्तकें : 

पुस्तकें :1. सत्य जीतता है (हिन्दी अकादमी दिल्ली से प्रकाशित),
2. सम्भावना (साहित्य वीथी दिल्ली से प्रकाशित, वर्ष -2017 फ़्लिप कार्ट व अमेज़न दोनों पर उपलब्ध)
3. Posibility ( English translation of Sambhavana By Deepak Danish )on kindle
4 . गुरु गूगल दोऊ खड़े pustakbazaar.com द्वारा प्रकाशित
5 . क्षमा करना पार्वती pustakbazaar.com द्वारा प्रकाशित
6 . ख्वाबों की जिंदगी और 63 कविता
7. वह मैं हूँ

8.घोडा ब्रांड क्रिकेटर मेरे 71 व्यंग्य 

9. दर्द और ख्वाब  

10. दर्द के इम्यूनिटी बूस्टर्स

संप्रति : हर समय कुछ करते रहने की इच्छा का बने रहना व पाठकों द्वारा प्रदान किए जाने वाला स्नेह ही मेरे लिखने का आधार है ।

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