मनुष्य जन्म लेने के उपरांत रोता है यह आश्चर्यजनक तथ्य नहीं है, लेकिन मनुष्य रोता हुआ मरता है यह आश्चर्यजनक तथ्य अवश्य है। जन्म के कारण दुःख शुरू होता है रोना स्वभाविक है। लेकिन मृत्यु दुःख से मुक्ति है इसलिए मृत्यु से घबराना, और रोना अस्वभाविक है। यदि जीवन के विपरीत नियमों के अनुसार देखा जाए तो जन्म दुःख है तो मृत्यु सुख होना चाहिए। मृत्यु आंनद होना चाहिए, क्योंकि मृत्यु में मनुष्य वहीं हो जाता है जो जन्म के पहले होता है। जन्म के पहले भी मनुष्य ना होने में लीन होता है और मृत्यु के बाद भी ना होने में लीन हो जाता है।
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