मैं चंद्रकांत पांडेय 'चंद्र' अपनी रचनाओं का प्रथम पुष्प "काव्य धारा" अपनी धर्म पत्नी स्वर्गीय निर्मला चंद्रकांत पांडेय को समर्पित करता हूँ। जिन्होंने अपने जीवन के पैतीस वर्ष हमारे परिवार को सजाने , सवाँरने और आगे बढ़ाने में लगा दिए। हम सभी उनके साथ बिताए गए हर पल को याद करते हैं और उन्हें अपने अश्रुपूरित नेत्रों से अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।