मैं नहीं जानता मैं कितने एकल व अन्प काव्य-संकलन प्रकाशित करवा सकूँगा क्योंकि मेरा स्वास्थ्य निरंतर गिर रहा है। न तो मुझे ज्ञात है कि किसने कितने काव्य-संकलन प्रकाशित करवाये हैं न ही मेरी किसी के साथ प्रतिस्पर्धा ही है। मैं अद्यतन २०,००० से अधिक कविताएँ लिख चुका हूँ जिसे मैं व्यक्तिगत तौर पर एक उपलब्धि के रूप में लेता हूँ।
मैं माँ गिरा की सेवा में रत रह सकूँ यही प्रभु से मेरी प्रार्थना है।
यह मेरा ४०वाँ एकल काव्य-संकलन है,