यह मेरा ३६वाँ एकल काव्य-संकलन है। माँ शारदा की असीम अनुकम्पा से ही यह सम्भव हो पा रहा है। अपने एकल काव्य-संकलन प्रकाशित करने का सुविचार जनवरी, २०१७ में मेरी धर्म-पत्नी श्रीमति आशा सिंघल, सुपुत्र निशान्त सिंघल, पुत्र-वधू कामिनी सिंघल व मेरी तत्कालीन अधीनस्थ अधिवक्त्री कामिनी श्रीवास्तव ने बारम्बार दबाव बनाते हुए मुझे बाध्य कर दिया अतः २०१८ से अबतक अनेक एकल व संयुच्त काव्य-संकलन प्रकाशित हो गए।