उपोद्घात्
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यह मेरा ३८वाँ एकल काव्य-संकलन है, ३४वाँ "काव्य-नवरत" प्रकाशनाधीन है, ३५वाँ "अंतर्जगत की काव्य-यात्रा" प्रकाशनाधीन है, ३६वाँ व ३७वाँ भूमिका लेखन के लिये गये हुए हैं।
मैं अपनी लेखन यात्रा विषयी विवरण अपने पूर्व के काव्य-संकलनों में विस्तार से दे चुका हूँ।
मैं अधिक कुछ न कह कर इतना अवश्य कहना चाहूँगा कि मेरी मुँहबोली, बहुत स्नेहमयी अनुजा अंजू कालरा दासन "नलिनी" ने एक ही दिन में अत्यन्त सारगर्भित, सुन्दर, प्रभावशाली भूमिका लिख कर मुझे प्रेषित कर दी जिसके लिये मैं अनुजा अंजू का सदा आभारी रहूँगा।