हर इंसान को कल्पना करनी चाहिए। क्योंकि इंसान अगर कल्पना करेगा तो ही उसे पूरा करने की कोशिश करेगा और एक दिन उसे पा भी सकता है। कल्पना जीवन की निशानी है, जीवित इंसान ही कल्पना कर सकता है, कल्पना करके कुछ नया सृजन कर सकता है। और ये जरूरी नहीं कि हर कल्पना पूरी हो जाये, कुछ कल्पनाएं अधूरी भी रह जाती है मगर इंसान को कभी कभी टूटी हुई कल्पना के साथ भी जीना पड़ता है। बरसों पहले मैंने एक कल्पना की थी जो आज मेरी किताब कल्पना के रूप में आप लोगों के सामने है।आप यकीन मानिए मेरी किताब कल्पना पढ़कर आप लोगो को लगेगा कि कहीं ये मेरी कल्पना तो नहीं है।