About book
कलम शायद आज सिर्फ एक लेखक का ही नहीं संपूर्ण विश्व का ब्रह्मास्त्र बन चुका है। हो बड़ा से बड़ा युद्ध एक कलम रोक सकता है वो बड़े बड़े तोप नहीं रोक सकते। और जो घमासान युद्ध एक कलम के द्वारा लड़ कर जीता जा सकता है वो शायद ही कोई अन्य अस्त्र जिता सकता है। कलम को मैने गांडीव की पदवी इस लिए भी दी है कि गत युगों में द्वापर के मनुष्यों के पास उपस्थित सबसे बड़े अस्त्रों में से एक था महान अर्जुन का गांडीव तो आज के समय में हो रही महाभारत को जीतने के लिए सर्व प्रथम हमें अर्जुन बन पड़ेगा फिर गांडीव रूपी कलम का सहारा लेना ही पड़ेगा तब ही जाकर हम यह युद्ध जीत सकते हैं। और साथ में गुरु रूपी सारथी श्री कृष्ण भी चाहिए होंगे जो हमें विजय का मार्ग दिखा सकें। अर्थात जिस प्रकार द्वापरयुग में गांडीव दुनिया का सर्वश्रेष्ठ अस्त्र था उसी प्रकार कलम कलयुग का सर्वश्रेष्ठ अस्त्र है। कलम की चोट से तो हम किसी भी शत्रु को पल भर में धराशयी कर सकते हैं।।
इस किताब में मैंने अपने भावों को उल्लेखित करने का प्रयास किया है। यदि ये किताब मेरे भावों को आप तक पहुंचाने में समर्थ होती है तो मेरा लेखन समर्थ है।