श्रीमती कंचन वार्ष्णेय की रचनाओं में स्त्री जीवन के संघर्ष एवं पीड़ा का ममस्पर्शी चित्रण है जो पाठकों के हृदय को छूता है। अपनी रचनाओं के माध्यम से कवयित्री ने समाज में नारी के सम्मान को जीवंत किया है और सामाजिक कुरीतियों को सच्चाई का आईना दिखाया है।
कवयित्री कंचन वार्ष्णेय का जन्म संभल जिले के चंदौसी में हुआ था। बचपन से ही कवयित्री को लिखने का शौक था। स्कूल के समय से ही कवयित्री की रचनाएँ विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती थी। कवयित्री ने कई पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया है। नारी के अस्तित्व के संघर्ष पर कवयित्री ने कई रचनाएँ की है जो विभिन्न अखबारों एवं पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी है। कवयित्री के प्रकाशित साझा काव्य संग्रह किसलय,स्त्री अस्तित्व का संघर्ष,माँ की ममता,जेठ की दुपहरी आदि प्रमुख है।