अपनी छोटी बड़ी कविताओं के जरिए मुरली मनोहर श्रीवास्तव सच्ची, सादगी भरी और ईमानदार जीवन की बार बार वकालत करते दिखाई देते हैं। वह बार बार मोहब्बत की बातें करते हैं, संग-साथ के मनोरथ भाव रचते हैं। मशीनी लाइफ के मारक प्रहार से बचने के लिए यह जरूरी भी है। शक और शुबहा को दूर करने के लिए असमंजस में बने रहने की बजाय वह स्नेहिल स्पर्श की जरूरत पर बल देते हैं। यानी वह निरंतर संवाद के आकांक्षी दिखाई देते हैं ताकि दूरियां कम हों और साहचर्य फलित हो। विकास की आंधी से वर्तमान को बचाने के लिए सुनहरे अतीत से प्रेरणा लेने से उन्हें गुरेज नहीं, बशर्ते उसमें बेहतरी की गुंजाइश हो। अच्छी भावनाओं से तैयार नए कविता संग्रह के लिए मुरली मनोहर श्रीवास्तव जी को बधाई।
भविष्य के लिए शुभकामनाएं।
-रणविजय सिंह सत्यकेतु
इलाहाबाद
(साहित्यकार और वरिष्ठ पत्रकार )
श्री मुरली मनोहर श्रीवास्तव की सामाजिक सामाजिक संवेदनशीलता एवं सम सामयिक विषयों पर अपने विचारों की मौलिक अभिव्यक्ति सहसा अत्यन्त रोमांचित करती है । इसी कारण इनकी कोई भी रचना पढ़ना प्रारम्भ करने पर जब तक समाप्त नहीं होती उसे छोडना मुश्किल होता है ।
डॉ राजीव त्रिपाठी
(प्रोफेसर इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग विभाग & पूर्व निदेशक)
MNNIT इलाहाबाद
प्रयागराज ।