Share this book with your friends

kashi rahasyodghaatan / काशी रहस्योद्घाटन

Author Name: Lava Kush Singh "vishwmanav" | Format: Paperback | Genre : Educational & Professional | Other Details

विषय-सूची

भाग –1 : मानव सभ्यता का विकास
मानव सभ्यता का विकास और जाति की उत्पत्ति

भाग –2 :  काशी
काशी (सत्व)
मोक्षदायिनी काशी और जीवनदायिनी सत्यकाशी : अर्थ व प्रतीक चिन्ह
मोक्षदायिनी काशी (रज)
जीवनदायिनी सत्यकाशी (तम) 

भाग –3 : सत्यकाशी विकास एवं विस्तार
सत्यकाशी विकास एवं विस्तार
”विश्वशास्त्र“ से मुख्यतः सत्यकाशी क्षेत्र के लिए व्यक्त विषय
व्यक्ति, एक विचार और अरबों रूपये का व्यापार

भाग –4 : शब्द - सृष्टि - शास्त्र
सार्वभौम सत्य-सिद्धान्त के अनुसार काल, युग बोध एवं अवतार
व्यवस्था के परिवर्तन या सत्यीकरण का पहला प्रारूप और उसकी कार्य विधि
क्या नई घटना घटित हुई थी 21 दिसम्बर, 2012 को?  
”श्रीमदभवद्गीता” की शक्ति सीमा तथा ”कर्मवेद: पंचमवेद समाहित विश्वशास्त्र” के प्रारम्भ का आधार
कालभैरव कथा : यथार्थ दृष्टि
”गीता” नहीं बल्कि ”कर्मवेद: पंचमवेद समाहित विश्वशास्त्र” राष्ट्रीय-वैश्विक शास्त्र-साहित्य है। 

भाग –5 : सत्यकाशी महायोजना
सत्यकाशी महायोजना
सत्यकाशी - स्वर्णयुग का तीर्थ
सत्यकाशी महायोजना-प्रोजेक्ट को पूर्ण करने की योजना
सत्यकाशी क्षेत्र निवासीयों को आमंत्रण
काशी (वाराणसी) को आमंत्रण
धार्मिक संगठन/संस्था को आमंत्रण
रियल इस्टेट/इन्फ्रास्ट्रक्चर व्यवसायिक कम्पनी को आमंत्रण
रियल इस्टेट एजेन्ट को आमंत्रण

भाग –6 : समष्टि धर्म दृष्टि
मानवों के नाम खुला चुनौती पत्र
काशी-सत्यकाशी क्षेत्र से विश्व शान्ति का अन्तिम सत्य-सन्देश
मिले सुर मेरा तुम्हारा, तो सुर बने हमारा

भाग –7 : आमंत्रण
पाँचवें युग-स्वर्णयुग के तीर्थ सत्यकाशी क्षेत्र में प्रवेश का आमंत्रण
पाँचवें युग - स्वर्णयुग में प्रवेश का आमंत्रण
शनिवार, 22 दिसम्बर, 2012 से प्रारम्भ हो चुका है

Read More...
Sorry we are currently not available in your region.

लव कुश सिंह "विश्वमानव"

कल्कि महावतार के रूप में स्वयं को प्रकट करते हुए श्री लव कुश सिंह "विश्वमानव" द्वारा ज्ञान-कर्मज्ञान और न तो किसी के मार्गदर्शन से हैं और एक ही शैक्षणिक विषय के रूप में उनका विषय रखा जा रहा है। न तो वे किसी पद पर कभी सेवारत रहे, न  ही किसी राजनीतिक-धार्मिक संस्था के सदस्य रहे हैं। एक नागरिक का अपने विश्व-राष्ट्र के प्रति कर्तव्य के वे सर्वोच्च उदाहरण हैं। साथ ही राष्ट्रीय बौद्धिक क्षमता के प्रतीक हैं।

Read More...

Achievements

+5 more
View All