इस पुस्तक में हास्य-व्यंग्य की 28 रचनाएं संकलित हैं। कुमार संजय मूलतः एक नाटककार हैं। अपनी अद्भुत नाट्य शैली और व्यंग्यात्मक, चुटीली, रसीली भाषा के कारण खासे लोकप्रिय हैं। व्यंग्य लेखन में उन्होंने अपनी इन्हीं खूबियों का प्रयोग किया है और अपना एक अलग स्टाइल गढ़ा है। अपनी रचनाओं में उन्होंने बड़ी ही सरल-व्यंग्यात्मक भाषा में समाज और देश की कई समस्याओं को उठाया है। भोजपुरी हिंदी में लिखे संवाद पाठकों को गुदगुदाएंगे लेकिन साथ ही उन्हें कड़वी सच्चाई से रूबरू भी करवाएंगे। इन हास्य-व्यंग्य की रचनाओं के साथ खास बात यह है कि इन्हें बिना किसी ताम-झाम के मंचित भी किया जा सकता है। ये सभी रचनाएं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। अभी भी पढ़िए और दिमाग को तरोताजा कीजिए।