उपोद्घात्
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इस से पूर्व मेरे २७ एकल काव्य-संकलन प्रकाशित हो चुके हैं।
यह मेरा २८वाँ एकल काव्य-संकलन है। अद्यतन मेरे १५ संयुक्त काव्स-संकलन भी प्रकाशित हो चुके हैं। नोशन प्रैस व साहित्य धरा अकादमी के सक्रिय सहयोग से यह मेरा नौंवा एकल काव्य-संकलन प्रकाशित हुआ है। ईश्वर से प्रार्थना है कि यह बारम्बारता अबाध गति से चलती रहे।
इन काव्य-संकलनों के प्रकाशन में मेरी अनुजा अंजू व हितेश रंजन दे जी का सतत सहयोग मिल रहा है।
मेरे परिवार के प्रत्येक छोटे-बड़े सदस्य का भी मानसिक संबल अव्याहत रूप से मुझे प्राप्त हो रहा है।
यह एकल काव्य-संकलन "काव्य-अवन्तिका" आपके हाथों में है, इसमें मैंने १६-०१-२०२२ से ३१-०१-२०२२ के मध्य रचित १६४ कविताओं को समाहित किया है, कृपया मनोयोग से पढ़ें और अपनी प्रतिक्रिया से अवगत कराएँ।
आशीर्वादाकांक्षी—
(हस्ताक्षर)
डॉ.विनय कुमार सिंघल
"श्रीकृष्ण-पद-रज-अनुगामी"
अधिवक्ता/ कवि
०१-०२-२०२२