उपोद्घात्
माँ शारदा की अनुकम्पा से यह मेरा २४वाँ एकल काव्य-संकलन प्रकाशित हुआ है— "काव्य-मल्लिका" और यह काव्य-संकलन साहित्य धरा अकादमी द्वारा छापा गया पाँचवाँ एकल काव्य-संकलन है मेरा जो निरन्तर एक के पश्चात् एक छप कर आया है।
इसके लिये श्री हितेश रंजन दे का मैं
हृदय से आभारी हूँ।
इस संकलन में मैंने ०१-१२-२०२१ से १५-१२-२०२१ के मध्य लिखित रचनाओं का चयन किया है जिसमें कुल कविताओं की संख्या १८८ है।
ईश्वर ने साथ दिया तो शीघ्र ही अगले काव्य-संकलन भी आपके द्वार पर अपनी उपस्थिति अंकित करेंगे।
आप सब इन कविताओं को मनोयोग से पढ़ें और मेरा मार्गदर्शन करें।
आपके स्नेह व आशीर्वाद का आकांक्षी—
(हस्ताक्षर)
डॉ.विनय कुमार सिंघल
"श्रीकृष्ण-पद-रज-अनुगामी"
अधिवक्ता/ कवि
२८-१२-२०२१
उपोद्घात्
माँ शारदा की अनुकम्पा से यह मेरा २४वाँ एकल काव्य-संकलन प्रकाशित हुआ है— "काव्य-मल्लिका" और यह काव्य-संकलन साहित्य धरा अकादमी द्वारा छापा गया पाँचवाँ एकल काव्य-संकलन है मेरा जो निरन्तर एक के पश्चात् एक छप कर आया है।
इसके लिये श्री हितेश रंजन दे का मैं
हृदय से आभारी हूँ।
डॉ.विनय कुमार सिंघल