इस किताब का शीर्षक ‘काव्यालय ’रखने के पीछे एक दिलचस्प घटना है जो आप सब से साझा करना चाहूँगा। जब मेरे पास किताब को छापने के संदर्भ में संपर्क किया गया और पूछा गया कि मैं अपने किताब को क्या नाम देना चाहूँगा तो मेरे दिमाग में इसको लेकर कोई विचार नहीं था । मैंने‘Poetic Souls Publications’ से कुछ मोहलत माँगी ताकि मैं इस पर विचार कर सकूँ | परंतु तीन दिन बाद भी मेरे दिमाग में कोई शीर्षक आ नहीं रहा था। इसी बीच मुझे अपनी बचपन की एक डायरी मिली। मुझे स्कूल के समय से ही डायरी लिखने का शौक रहा है । मैं उस डायरी के पन्ने को पलट रहा था कि, तभी मेरी नज़र एक कविता के शीर्षक पर पड़ी, जिसका शीर्षक ‘काव्यालय’ था और बस उसी वक्त मैंने निश्चय कर लिया कि मेरे कविता का शीर्षक ‘काव्यालय’ ही होगा। यद्यपि मैंने इस कविता को इस किताब में शामिल नहीं किया है पर वह कविता और शीर्षक मुझे याद दिलाता रहेगा उस समय के बारे में जब मैंने सबसे पहली कविता लिखी थी। बीते कई सालों में अपने अंदर के ज़ज्बात को, अनकही बात को मैं कविता के माध्यम से पन्नों पर उकेरता गया। कभी सोचा नहीं था कि, कभी मेरी किताब भी प्रकाशित होगी। इस किताब में पाठकों को जो भी कविता मिलेगी, वह सारी कवितायें मेरे जीवन के किसी-न-किसी प्रसंग का उल्लेख करेंगी। जिसने मुझे और मेरे विचारों को किसी न किसी-न-किसी रूप में प्रभावित किया है। मेरी कविता में प्रेम, आशा, निराशा इन सबका संगम मिलेगा।मेरी हर कविता आपको एक कहानी बताएगी, आपको मुझसे रूबरू कराएगी, ऐसी मुझे आशा है।
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