प्रस्तुत काव्य संग्रह में 62 कविताएं हैं । जो सन 2005 से अबतक लिखी हुई हैं, जो मुक्तच्छ्न्द में लिखी गयी है. जिसमें क्या हैं क्या नहीं यह निर्णय प्रबुद्ध पाठकों के पास सुरक्षित हैं, जिसे पाठक अपनी प्रतिक्रिया द्वारा व्यक्त करते हुए हमें उपकृत करेंगे ही. ‘काव्यप्रभा’ का उद्देश्य केवल और केवल ज्ञानवर्धन व लोकरंजन हैं. जिसके द्वारा विचारों का आदान-प्रदान जनसामान्य और पाठकों को हो. किसी भी भारतीय नागरिक पर टीका-टिप्पणी करना, प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष किसी भी प्रकार से जाने अनजाने में आहत करना हमारा मन्तव्य नहीं हैं . फिर भी कोई इस कविता संग्रह की कविताएं पढकर किसी प्रकार से आहत होता हैं, तो मैं विनम्रता से क्षमा क्षमा चाहता हुं. आपका अपना ही......