“खुशी” की कहानी के माध्यम से खुशी के हर पहलुओं को समझाने की मैंने कोशिश की है| इस कहानी की नायिका “खुशी” है जो जीवन भर खुशी की तलाश करती है पर बचपन से ही उसे घोर कष्टों का सामना करना पड़ता, उसके जीवन में संघर्ष ही संघर्ष है, निराशा ही निराशा है| वह फिर भी हार नहीं मानती| वह हमेशा प्रयत्नशील रहती है इस उम्मीद से कि उसे खुशी मिलेगी पर उसे खुशी नहीं मिलती| जब उसने खुश होकर खुशी की तलाश की तो उसे खुशी भी मिलने लगी और “आनंद” भी| शायद यही हर एक के जीवन की सच्चाई है| यदि इस कहानी को पढ़कर आपको जरा भी खुशी मिली तो मैं समझूँगा कि मेरा प्रयास सफल रहा क्योंकि ऐसी कहानियाँ लिखने में मुझे “खुशी” मिलती है | अब आप खुद निर्णय करें कि आपको खुशी कैसे मिलेगी|
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