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Lafzo ke musafir / लफ्जों के मुशाफिर

Author Name: Ankita Dwivedi | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

जी अंकिता द्विवेदी
बिहार (बक्सर) से  है,  ये अभी इंटर  में पढ़ाई करती हैं...,
साथ ही ये लेखक भी हैं, इनकी 1000 से भी ज्यादा पुस्तकों में अपनी रचनाएं प्रकाशित हो चुकी हैं, ये कवि सम्मेलन में भी भाग ले चुकी हैं और जीत चुकी हैं, इन्होंने ना जाने कई कंपटीशन में भाग ले चुकी है और जीत चुकी है, ये अखिल भारतीय कवि सम्मेलन से बिहार प्रभारी भी है,
ये अपनी काबिलियत और अपने लिखने के जुनून से (वर्ल्ड रिकॉर्ड )बुक में भी अपनी जगह बना ली, इन्हे कई जगह दूर _ दूर से बुलाया जा चुका है पर पढ़ाई के कारण  इन्होंने जाने से मना कर दिया,
अब इन्होंने अपनी खुद की बुक लिखने का सोचा हैं, 
इनमे दिखावा नहीं है और ये खुद को और बेहतर बनाना चाहती हैं,
इनका कहना है अभी इन्हे सीखने की जरूरत है, और ये सब अपने आप के लिए लिखती है , लिखने से इन्हे सुकून मिलता हैं, ये राइटिंग को सबसे आगे रखती हैं, कई लोगो ने इनके लिखने पर  विरोध किया और खरी खोटी सुनाया, पर इन्होंने सब पे ध्यान ना देके बस लिखना जारी रखा और आज भी इनका कहना है कि लिखने से इन्हे सुकून मिलता हैं और ये लिखना नहीं छोड़ेगी कभी,
इन्हे ये प्रेरणा अपने प्रदादा जी यानी की अपने दादा जी के पिता जी से मिलती हैं, वो बहुत जाने माने लेखक रह चुके हैं  उन्होंने अपने सारे किताबों को पटना के ( लायब्रेरी ) में दान कर दिया,
वो ( अकाउंट मैनेजर ) भी थे साथ ही वो एक बहुत जाने माने लेखक थे जिन्होंने हिन्दी, संस्कृति, भोजपुरी और ना जाने कई भाषाओं में अपनी लिखी रचनाएं प्रकाशित की हैं, 

 उनका शुभ नाम _ ( श्री अरविंद कुमार द्विवेदी उर्फ राम बच्चन द्विवेदी  ) था,

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अंकिता द्विवेदी

जी अंकिता द्विवेदी
बिहार (बक्सर) से  है,  ये अभी इंटर  में पढ़ाई करती हैं...,
साथ ही ये लेखक भी हैं, इनकी 1000 से भी ज्यादा पुस्तकों में अपनी रचनाएं प्रकाशित हो चुकी हैं, ये कवि सम्मेलन में भी भाग ले चुकी हैं और जीत चुकी हैं, इन्होंने ना जाने कई कंपटीशन में भाग ले चुकी है और जीत चुकी है, ये अखिल भारतीय कवि सम्मेलन से बिहार प्रभारी भी है,
ये अपनी काबिलियत और अपने लिखने के जुनून से (वर्ल्ड रिकॉर्ड )बुक में भी अपनी जगह बना ली, इन्हे कई जगह दूर _ दूर से बुलाया जा चुका है पर पढ़ाई के कारण  इन्होंने जाने से मना कर दिया,
अब इन्होंने अपनी खुद की बुक लिखने का सोचा हैं, 
इनमे दिखावा नहीं है और ये खुद को और बेहतर बनाना चाहती हैं,
इनका कहना है अभी इन्हे सीखने की जरूरत है, और ये सब अपने आप के लिए लिखती है , लिखने से इन्हे सुकून मिलता हैं, ये राइटिंग को सबसे आगे रखती हैं, कई लोगो ने इनके लिखने पर  विरोध किया और खरी खोटी सुनाया, पर इन्होंने सब पे ध्यान ना देके बस लिखना जारी रखा और आज भी इनका कहना है कि लिखने से इन्हे सुकून मिलता हैं और ये लिखना नहीं छोड़ेगी कभी,
इन्हे ये प्रेरणा अपने प्रदादा जी यानी की अपने दादा जी के पिता जी से मिलती हैं, वो बहुत जाने माने लेखक रह चुके हैं  उन्होंने अपने सारे किताबों को पटना के ( लायब्रेरी ) में दान कर दिया,
वो ( अकाउंट मैनेजर ) भी थे साथ ही वो एक बहुत जाने माने लेखक थे जिन्होंने हिन्दी, संस्कृति, भोजपुरी और ना जाने कई भाषाओं में अपनी लिखी रचनाएं प्रकाशित की हैं, 

 उनका शुभ नाम _ ( श्री अरविंद कुमार द्विवेदी उर्फ राम बच्चन द्विवेदी  ) था,

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