प्रस्तुत पुस्तक बाल सुलभ भावनाओं को दृष्टिगत करके लिखी गई है। जो वर्णमाला के प्रत्येक अक्षर से सम्बन्धित जानकारी देते हुए भारतीय संस्कृति के अनुपालन में जीवन को सीख देने का गिलहरी प्रयास मात्र है। आज का चपल नौनिहाल यदि इसके स्वर,लय में एकाग्र हो जाता है,तो मैं अपने प्रयास को सफल मानूॅगा। आशा ही नहीं,पूर्ण विश्वास है,कि यह पुस्तक पूज्य गुरुदेव की कृपा से बाल सुलभ चंचल मन को निरन्तर प्रिय लगती रहेगी,आह्लादित करती रहेगी। प्रकाशन समूह से जुड़े प्रिय सुमन जी,वैष्णवी राय का आजीवन आभारी रहूॅगा। और अन्त में, मुझे मेरी त्रुटियों से अवगत कराने वाले सुधी पाठकों को बहुत-बहुत स्नेहिल आभार सहित धन्यवाद।