यह पुस्तक काव्य की एक अंजलि ,के समान गागर में सागर जैसी है |
समाज में व्याप्त बुराई से समाज कभी समझौता नहीं करता है अतः जो काल्पनिक धरा से गुजरती है काव्य धारा वह पुस्तक के माध्यम से
"जीवनगीत" बन जाती है |
बोझ को बच्चो से दूर हटाना है |
ओझिल न हो शिक्षा की ललक दर्पण नया बनाना है |
नित- नया नवाचार लाना है |
सभी बीजो के अंकूर फूटे ,वृक्ष नया बनाना है |
ज्योति ज्योति जलना है ,
नित- नया नवाचार लाना है |
महके कलिया धरती पर,सुन्दर वसुंधरा बनाना है |
कमजोर कड़ी एक न रहे, सबको माला मे लाना है |
नित- नया नवाचार लाना है |