धन्यवाद
मैं अकिंचन इस पुस्तक को मां शारदे के आशीर्वाद से आपके समक्ष प्रस्तुत कर पा रही हूं, वर्ना मुझ में ऐसी काबिलियत नहीं...। सभी गुरुजनों व अपनों का प्यार इस में सम्मिलित है।
आज मैं जो भी हूं.. अपनी पूज्य माता श्री एवं पिताश्री के आशीर्वाद से हूं। उनके बढ़ावे से मैं आज यहां तक पहुंच पाई हूं।
"मां जन्नत का फूल" दुनिया की सभी मांओं को समर्पित है यदि मुझसे कोई त्रुटि रह गई हो तो क्षमा प्रार्थी हूं
जीवन के हर मोड़ पर...,
अपनों का प्यार सदा पाया,
बड़ों के प्यार व आशीर्वाद से,
आज यह शुभ दिन है आया।