काव्य व रचना शायद मै कभी ना लिखता मै सन् 1975 से उपन्यास लिखता रहा कई पत्र पत्रिकाओं में अक्सर लेख लघुकथाऐ धारावाहिक कहानी ही लिखता रहा लाक डाउन के समय अपने एक मित्र के कहने पर चार पंक्तियां लिखी थी एक प्रेरणा स्त्रोत बन मेरे जीवन की लिखत बदल गई फिर माँ शब्द मेरे लिए बहुत मायने रखता है मेरी माँ मेरी बहन मेरी हर रचना को प्रोत्साहित करती थी बस यही से सफर शुरू हुआ! अपने जीवन में मेने नारी को सम्मान पूर्वक मान दिया व यही से प्रेरित होकर मेने रचनाएँ लिखी अभी तक 300 से ऊपर रचनाएँ विभिन्न पत्र पत्रिकाओं मे प्रकाशित हो चुकी है सिर्फ रचनाओ में मुझे हिन्दी