मैं निशब्द हूं
अक्सर लोगों को कहते सुना है कि भगवान है भी या नहीं भगवान हमारी सुनते क्यों नहीं? जब भी इन्सान परेशान होता है भगवान को कोसना शुरू कर देते हैं। घर से भगवान की तस्वीरें बाहर रख आते हैं। ये भगवान तो सुन नहीं रह दूसरे भगवान को पूजना शुरू ये भी नहीं सुन रहे हैं तो कोई और भगवान को पूजना शुरू कर देते हैं लोग। क्योंकि सब्र तो है ही नही, ना ही विश्वास, तो तस्वीरें बदलने से क्या होगा? आस्था होनी चाहिए विश्वास मन में इतना हो कि जो करेंगे अच्छा ही करेंगे। भरोसा करना सीखें अपने मालिक पर परेशानी आने पर भगवान को कोसने की बजाय समाधान निकालिए और खुद पर संयम बनाए रखें। एक बात हमेशा ध्यान रखिएगा जब दु:ख ऊपर वाला देता है तो सुख भी वही देता है। जब भी दु:ख आये तो अपना संयम बनाए रखें खुद को डिप्रेशन में ना जाने दें, अपने को बिल्कुल ही निराश ना करें और सुख के आने पर अपने अन्दर घमंड ना आने दें। दोनों परिस्थितियों में अपना संयम बनाए रखें क्योंकि दोनों अस्थिर है।
मेरा भाव यही है कि हर परिस्थिति में अपने मालिक का धन्यवाद दें और विश्वास बनाए रखें क्योंकि उन्होंने ही हमें धरती पर भेजा है तो जरूर कुछ सोचा होगा हम सब के बारे में भी। आस्था और विश्वास अटूट होना चाहिए उनके प्रति।