इस पुस्तक में मैंने अपनी यात्रा लिखी है
हाँ अंतिम यात्रा
मृत्यु की हकीक़त को दर्शाया है।
जी हाँ मृत्यु, वह मृत्यु जिसे सबका पता मालूम है
बस हमें ही नहीं पता है कि मृत्यु आएगी पर हमें मार नहीं पाएगी।
श्रीमद्भागवतगीता के अध्ययन, संतों-महापुरूषों के वाणी को पढ़कर इस पुस्तक को पंक्तियों के रूप में व्यंग्य के साथ लिखा हूँ।
अंतिम यात्रा जिसे हम कहते हैं दरसल वह आध्यात्मिकता कि दृष्टि से बिलकुल ही अलग है। हम सत्य को नकाब में रख झूठ को सत्य कहते है। बस उसी झूठ का प्रदा हटा सत्य को लिखा है।
आशा है आप सब इस पुस्तक को पढ़ कर अपने जीवन को भी सत्य की ओर ले जाएंगे।
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