उपोद्घात्
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"मेरी इक्यावन कविताएँ शृंखला" का यह तीसरा भाग है। माँ शारदा के आशीर्वाद से यह शृंखला चलती रहेगी।
काव्य-सृजन मेरा व्यसन है १९६७ से। अभी तक कुल मिला कर ६८ काव्य-संकलन प्रकाशित हो चुके हैं। यह ६९वाँ काव्य-संकलन है। एक संयुक्त काव्य-संकलन "दिल्ली दर्पण"
प्रकाशनाधीन है, जो प्रभात प्रकाशन, नई दिल्ली से छप रहा है यदि वह पहले आ गया तो यह ७०वाँ संकलन माना जाएगा। एक त्रयी काव्य-संकलन "काव्य-कुम्भ" नोशन प्रैस द्वारा छप चुका है और कोरियर के पास है जो कभी भी हम तक पहुँच जाएगा उस परिस्थिति में यह वर्तमान संकलन ७१वाँ माना जाएगा।
५५ वर्ष की इस काव्य यात्रा में २२,००० से अधिक कविताएँ लिख चुका हूँ और अभी भी सक्रिय हूँ।
ऐसी कृपा बहुत भाग्य से ही देती हैं माँ शारदा।
मेरी कविताएँ यथार्थ के बहुत निकट रहती हैं और यह मेरा सत्य-आग्रही होने का ही परिणाम है।
आप ये कविताएँ मनोयोग से पढ़ें बस यही प्रमाण है।
आशीर्वादाकांक्षी
आपका
हस्ताक्षर
(डॉ.विनय कुमार सिंघल) "निश्छल"
अधिवक्ता/कवि