“मोक्ष: मुक्ति का मार्ग” जीवन, मृत्यु, पुनर्जन्म और मुक्ति की शाश्वत खोज पर आधारित एक गहन आध्यात्मिक उपन्यास है। यह कहानी तीन पीढ़ियों की समानांतर यात्राओं के माध्यम से बताती है कि मोक्ष कोई दूर का लक्ष्य नहीं, बल्कि हर मनुष्य की आंतरिक चेतना में घटने वाली एक परिवर्तनकारी अनुभूति है। पुस्तक में भगवद्गीता का निष्काम कर्मयोग, अद्वैत वेदांत, पतंजलि योगसूत्र का कैवल्य, शिव-तंत्र का जीवन-मुक्ति दर्शन, बुद्ध का निर्वाण और तिब्बती बारदो जैसी दार्शनिक धारणाओं का सुंदर समन्वय है।
डॉ. रवीन्द्र पस्तोर इस कृति में यह सिद्ध करते हैं कि मोक्ष न शरीर के अंत में मिलने वाला पुरस्कार है और न किसी चमत्कार का परिणाम यह प्रेम, जागरूकता और आत्म-बोध के माध्यम से हर क्षण में जिया जा सकने वाला अनुभव है। जीवन के गहरे प्रश्नों “मैं कौन हूँ? मैं यहाँ क्यों हूँ?” का उत्तर खोजने वाले हर पाठक के लिए यह उपन्यास एक दिशा-दर्शक और आत्मिक मार्गदर्शक साबित होगा।
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