मुक्तिका
भारतीय संस्कृति में नारी के सम्मान को सर्वाधिक महत्व दिया गया है। संस्कृत में एक श्लोक है - 'यस्य पूज्यंते नार्यस्तु तत्र रमन्ते देवता:। अर्थात् जहां नारी की पूजा होती है, वहां देवता निवास करते हैं।
अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस प्रत्येक वर्ष ८ मार्च को विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के प्रति सम्मान, प्रशंसा और प्रेम प्रकट करते हुए, महिलाओं के आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक उपलब्धियों एवं कठिनाइयों की सापेक्षता के उपलक्ष्य में उत्सव के तौर पर मनाया जाता है।
यूँ तो नारी का सम्मान हर पल महत्व रखता है किंतु इस इस नारी सम्मान में पुरुषों का सहभागिता निभाना ही इस दिवस को महत्वपूर्ण व खास बनाता है। महिलाओं के योगदान की वैसे तो हर दिन सराहना की जानी चाहिए लेकिन फिर भी उनके योगदान और सम्मान में एक खास दिन निर्धारित किया गया है।
मुक्तिका सम्मान करती है समस्त नारीत्व का, नारी बिना ये संसार अधूरा, शून्य व नीरस है, हम धन्य है जिन्हें एक पुस्तक के जरिये नारी सम्मान करने का अवसर प्राप्त हुआ। भविष्य में भी इसी प्रकार इस कड़ी को आगे बढ़ाते हुए हम नारीवाद का महत्व रखते हुए यथार्थ प्रयास करते रहेंगें।