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“Na hanyate hanyamane sharire” / "न हन्यते हन्यमाने शरीरे” ‘Amarata ka rahasya’

Author Name: Dr. Ravindra Pastor | Format: Paperback | Genre : Young Adult Fiction | Other Details

“न हन्यते हन्यमाने शरीरे – अमरता का रहस्य” आधुनिक विज्ञान और प्राचीन भारतीय आध्यात्मिक ज्ञान के बीच की एक गहन और विचारोत्तेजक यात्रा है। यह पुस्तक डॉ. रवि की कहानी के माध्यम से अमरता की उस खोज को प्रस्तुत करती है, जो सिलिकॉन वैली की ए.आई. और बायोटेक प्रयोगशालाओं से शुरू होकर योग, उपनिषद और आत्म-बोध तक पहुँचती है। दीर्घायु विज्ञान, सेलुलर रीप्रोग्रामिंग और मानव ऑप्टिमाइज़ेशन जैसे विषयों के साथ-साथ, यह कथा पतंजलि के अष्टांग योग, ध्यान और चेतना की शाश्वत प्रकृति को सरल लेकिन गहरे रूप में उजागर करती है। अंततः पुस्तक इस उपनिषदीय सत्य की ओर ले जाती है कि सच्ची अमरता शरीर को बचाने में नहीं, बल्कि यह जान लेने में है कि आत्मा शरीर से परे है—“न हन्यते हन्यमाने शरीरे।” यह पुस्तक उन पाठकों के लिए है जो जीवन, मृत्यु और चेतना के रहस्य को विज्ञान और अध्यात्म दोनों के दृष्टिकोण से समझना चाहते हैं।

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डॉ. रवीन्द्र पस्तोर

लेखक परिचय
डॉ. रवीन्द्र पस्तोर एक सच्चे पुनरुत्थान और पुनर्खोजी व्यक्ति रहे हैं, जो दूरदर्शी, सफल उद्यमी, जुनूनी फोटोग्राफर, वाक्पटु प्रेरक वक्ता, और उत्कृष्ट रूप से सफल आईएएस अधिकारी रहे हैं। उन्होंने सरकार में अपने छत्तीस वर्षों के उपलब्धीपूर्ण करियर के दौरान कई नवीनतम और प्रशंसनीय प्रशासनिक नीतिगत परिवर्तनों का नेतृत्व किया।

अब वे अपने बहुरूपदर्शी अनुभवों, अन्वेषणों और प्रयोगों को आध्यात्मिक ज्ञान से परिपूर्ण करके एक उपन्यास लेखक के रूप में प्रस्तुत करने के लिए तैयार हैं, जिसे उन्होंने अपने अत्यंत सक्रिय जीवन अनुभव के माध्यम से प्राप्त किया है। उनका लेखन पाठकों को लोककथाओं, पौराणिक कथाओं और किंवदंतियों की एक अद्भुत रोमांचक यात्रा पर ले जाएगा।

अब तक उन्होंने 20 पुस्तकें प्रकाशित कर पाठकों के बीच अपने विचारों और कथाओं की यात्रा को साझा किया है।

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