प्रकृति ने मानव को जल, जंगल, जमीन का उपहार दिया ताकि वह इनके उपयोग से अपना जीवन यापन कर सके। प्रदूषण रहित पर्यावरण भी प्रदान किया।
मनुष्य ने जीवन की समृद्धि के लिए प्राकृतिक संसाधनों की महत्ता समझते हुए उनके संरक्षण के उपाय किये। इसके विपरीत स्वार्थ और लालच के कारण इनका विनाश करने के प्रयत्न भी किये जिसका परिणाम प्राकृतिक संतुलन बिगड़ने और वातावरण के प्रदूषित होने के रूप में हुआ।
कृषि, ग्राम विकास, पशुपालन और पर्यावरण से संबंधित विषयों पर लिखे गये इस निबन्ध संग्रह की उपयोगिता उन सभी के लिए है जो विद्यार्थी, चिंतक, नीति निर्माता और सामान्य पाठक हैं और प्राकृतिक संसाधनों के दुरूपयोग तथा सदुपयोग से परिचित होना चाहते हैं ताकि समय रहते सावधान हो सकें।
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