About the Book
नाम किसी के लिए भी उसके अस्तित्व की पहचान होती है और अगर हम बात करे इस किताब "नाम" की तो इसकी भी कहानी कुछ ऐसी ही है। मैंने मां सरस्वती की कृपा से अपने मन की सभी भावनाओं को कागज़ पर स्याही से उकेरा है और सभी को अलग अलग नाम दिया है । मगर जब आज मैंने सबको सम्मिलित किया तो मेरे सतरंगी विचारों ने खुद मुझे ही असमंजस में डाल दिया कि अब इनके समूह को क्या नाम दिया जाए?
फिर मैंने अपने किताब का नाम इसलिए "नाम" रख दिया क्यूंकि मेरी यह अभिलाषा है कि आप सभी पाठकगण मेरे इन विभिन्न परिस्थितियों में लिखे गए रचनाओं को पढ़े और फिर अपने अनुभव के अनुसार इस किताब को एक नाम दें ठीक उसी तरह जैसा कि एक नवजात शिशु को उसके गुण और लक्षण के अनुसार नाम दिया जाता है।
आप सब इस किताब "नाम" को कृपया पढ़े और मुझे मेरी खूबियों के साथ साथ खामियों से भी अवगत करवाएं ताकि आगे से मैं मेरी उन गलतियों को ना दोहराऊं और साथ ही अपनी खूबियों को और निखार सकूं क्योंकि
"कलम के सहारे कल कोई कलाम होगा,
जब नाम बिगड़ेगा किसी का तब ही तो नाम होगा।"