नारी अस्तित्व संघर्ष की गाथा है| इस उपन्यास में महाभारत काल की द्रौपदी की ‘चीरहरण’ की घटना से लेकर अब तक नारी के साथ किये गए भेदभाव, अपमान और अत्याचारों की कहानियाँ हैं | उपन्यास के अंत में एक निःस्वार्थ प्यार की कहानी भी शामिल की गई हैं जो यह साबित करती है कि ‘प्यार सर्वोपरि’ है |ये कहानियाँ आप को सोचने पर मजबूर कर देंगी कि एक नारी पुरुष के अत्याचारों से कितना सतायी जाती है| यक्ष प्रश्न यही है कि क्या उसे बराबरी और सम्मान से जीने का हक नहीं है?