इस पुस्तक को लिखने का तात्पर्य सिर्फ इतना है की बच्चों को उनकी दुनिया और बाहर की दुनिया दोनों एक साथ दिखाई जाए.अक्सर बच्चे सपनों की कई काल्पनिक उड़ानों की कहानी और कविता पढ़कर बड़े होते और हकीकत की दुनिया से अलग पाते हैं तब उन्हें दिक्कत पेश आती है
सुभाष श्याम सहर्ष काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी से अंग्रेजी में स्नातकोत्तर की उपाधि वर्तमान में नवोदय विद्यालय में शिक्षण जारी। इनकी कहानियों में मानवीय संवेदनाओं , बच्चो की भविष्य की तस्वीरें साफ़ साफ़ देखि जा सकती हैं। इनकी कहानियाँ छोटी होती है मगर बातें उसी में पूरी हो जाती है। कई किताबें प्रकाश्य हैं। पुस्तकें: Behind the door , Keep the door open ,Dwarf on the bridge ,फिर भोर नहीं हुई ,तू अकेला नहीं ,जो करे सो भरे , चंदू की चालाकी ,नन्हा देवदूत इत्यादि (ई-बुक्स )