इस पुस्तक में लेखिका ने अपने विचारों और भावनाओं को शब्दों का रूप दे कर कविता में पिरोया है। यह पुस्तक रिश्ते, प्रेम, मानवता, देश-प्रेम, प्रेरक कविताओं का संकलन है। इस पुस्तक के माध्यम से कुछ सामाजिक मुद्दे जैसे बाल श्रम, दहेज प्रथा, गरीबी जैसे मुद्दों पर भी प्रकाश डालने की कोशिश की गई है। साथ ही आज समस्त मानव जाति जो कोरोना जैसे भयंकर महामारी से जूझ रही है उस पर भी लेखिका ने अपने विचारों को व्यक्त किया है। आज के युग में खोती हुई मानवता जिसने बेजुबान जानवरों, पशु-पक्षियों, पेड़-पौधो के प्रति लगाव को जीवित ही नही रखा है जिसके परिणाम स्वरूप इनका शोषण आज एक आम बात हो गई है। इन सभी हृदयस्पर्शी चीत्कार को लेखिका ने पन्नो पर कविता के रूप में जीवित किया है और पुस्तक 'निशब्द' का निर्माण किया है जो निश्चित ही पाठकों को बहुत पसंद आएगी। अगर एक भी पाठक तक निशब्द के शब्द पहुँच जाए और वो उसके अनगिनत सच्चाई को समझ लें तो लेखिका अपने इस छोटे से प्रयास को सार्थक समझेंगी।