हमारे आसपास कई ऐसे लोग होते हैं ,जिनसे हमारा खून का रिश्ता हो या ना हो ,वो हमसे बेहद प्यार और हमारी परवाह करते हैं। पर हम इस व्यस्त जीवन में उन्हें वक़्त नहीं दे पाते हैं और इसी वजह से हम अक्सर उनके सामने अपने एहसासों को बयान नहीं कर पाते हैं।
"पैग़ाम-अपनों के नाम" नव-उदित एवं युवा लेखकों का संकलन है। सभी रचनाकारों की खूबसूरत शायरियों और कविताओं ने इस किताब में चार चांद लगा दिए हैं।
इस संकलन में भाग लेने वाले सभी सह-लेखकों ने अपने कुछ क़रीबी शख्स के नाम ,सरल शब्दों का प्रयोग करते हुए, दिल छू लेने वाला पैगाम लिखा है।यह 'पैग़ाम' उनके नाम है,जिन्होंने उनकी जिंदगी को संवारने की भरपूर कोशिशें की हैं और जो हर अच्छे और बुरे वक़्त में उनका साथ देता रहा है।
संकलनकर्ताओं ने इस पुस्तक के शीर्षक पर रौशनी डालते हुए लिखा है:-
सोचा आज उन सबको धन्यवाद देते चले...
जिन्होंने दिया हर वक़्त हमारा साथ, उन्हें सौगात देते चले...
हाँ वक़्त की कमी ज़रूर है, इस भीड़ वाले शहर में,
इसलिए सोचा अपने अल्फाजों में लिखा उन्हें पैग़ाम देते चले...