आधुनिक युग में संसार में, खासकर भारत वर्ष में बोद्ध धर्म का प्रादुरभाव भारत की आज़ादी के बाद हुआ है, जिसका श्रेय विश्व रत्न तथागत बाबा साहब डा॰ भीमराव अंबेडकर को जाता है जिन्होंने 1956 तक विश्व के सभी प्रचलित धर्मों कर ब्रहद अध्ययन किया और यह पाया की हिन्दू धर्म में व्याप्त बुराइयों खासकर भीषण जातिबाद और शोषणबाद से मुक्ति अथवा छुटकारा पाने के लिए उनके और उनके अनुयाइयों के लिए बुद्ध धर्म ग्रहण करना ही उत्तम है।
बोद्ध धर्म के बारे में भारत के नव बोद्धों में अनेक भ्रांतियाँ है जिनका समाधान अति आवश्यक है। बाबा साहब के बोद्ध धर्म ग्रहण करने के उपरांत उनके अनुयाइयों ने खासकर अनुसूचित जाति, जन जाति व पिछ्डा वर्ग ले लोगों ने आज तक लाखों करोड़ों की संख्या में बोद्ध धर्म ग्रहण किया है। इन नव बोद्धों को विभिन्न राजनैतिक दलों ने अपने स्वार्थवश सही जानकारी न देकर भ्रमित ही किया है और समाज में बैमनस्यता फैलाकर गुटबंदी को प्राश्रय दिया है। इससे बाबा साहब के मिशन को हासिल करने की राह में अड़चनें ही आई और उनके अनुयाइयों को नुकसान ही हुआ है। समाज में वर्ग स्ंघर्स का महोल बना तथा कहीं कहीं सामाजिक दुश्मनी भी पैदा हुई है।
बुद्ध शरण की राह में अग्रसर लोगों को उचित व सही मार्गदर्शन देकर उनकी राह आसान करना ही इसका उद्देश्य है। इसमे मेरे द्वारा लिखित कुछ कविताओं का भी समावेश किया गया है। परन्तु इसमें मेरा कुछ भी नहीं है जो कुछ है वह बाबा सहब की कृपा का प्रसाद तथा भगवान बुद्ध का वरदान ही है, किन्तु अगर कहीं कोई गलत बात लगे तो वह गलती मेरी ही होगी जिसके लिए मैं क्षमा प्रार्थी हूँ। पाठकगण अपने विचारों से मुझे अवगत करने की कृपा करें जिससे भविष्य में इसे सुधारकर और उन्नत रूप में प्रस्तुत किया जा सके।
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