रीतु प्रज्ञा का एकल लघुकथा संग्रह 'पीयूष धारा' कई दृष्टिकोण से उत्कृष्ट है । इसमें संग्रहीत लघुकथाएं पारिवारिक पृष्ठभूमि से विभिन्न रंगरूप में जुड़ी हुई है । कहीं परिवार में माँ-बेटी की तकरार है तो कहीं हँसी-खुशी, कहीं घरेलू रिश्तो व संबंधों को स्पर्श करती हुई कथायें पाठक को सहज रूप में पारिवारिक पृष्ठभूमि से जोड़ देती है. घरेलू विषयों पर केंद्रित उनकी लघुकथाएं सहज ही हृदय को छू लेती है । कुछ अन्य लघु कथाएं जैसे - मतदान, सड़क पर कुत्ते, जनरल वार्ड, फुर्र हुई बीमारी, भी अपने शिल्प और प्रस्तुतीकरण के लिए पाठकों द्वारा निसंदेह पसंद की जाएंगी । मेरा विश्वास है कि यह पुस्तक पाठकों के बीच लोकप्रियता हासिल करने में सफल होगी ।