संघ एवं राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षाओं हेतु
प्रस्तुत पुस्तक दस विषयवार अध्यायों में पूर्वमध्यकालीन भारत का इतिहास के अंतर्गत भारत के सामान्य इतिहास की प्रस्तुति का प्रयास है। यह उपनिवेशी राजसत्ता से या “भारत पर राज करने वाले व्यक्तियों से अधिक भारतीय जनता पर केंद्रित है। यह शासित जनता की सोच, उनके सांस्कृतिक संकटों और सामाजिक परिवर्तनों को उनके विद्रोह, उनकी एक पहचान की तलाश को तथा अनेक प्रकार की उपनिवेशी नीतियों के माध्यम से उन तक पहुँचने वाली आधुनिकता से दो-चार होने के प्रयासों को उजागर करती है। सबसे बढ़कर यह इस कहानी का वृत्तांत प्रस्तुत करती है कि पश्चिमी साम्राज्यवाद की वर्चस्ववादी उपस्थिति में अपने सभी अंतर्विरोधों और तनावों के साथ भारतीय राष्ट्र किस तरह जन्म ले रहा था।
यह पुस्तक संघ एवं राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित प्रारंभिक एवं मुख्य एवं पतियोगी परीक्षाओं हेतु एक मील का पत्थर सबित होगी ऐसा एक छोटा सा प्रयास कर रहा हुॅ।