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PRANAY BELI / प्रणय बेलि

Author Name: Amar Nath Singh 'mohi' | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

आत्मिक प्रेम में डूबे प्रिय और प्रेयसी का हर संवाद हृदय से स्पंदित मृदु भावों का संगम होता है । प्रेम के अनुभव में लिखे गए ख़त जिनमें प्रिय और प्रेयसी के विरह,मिलन और प्रशंसा का अलंकरण हो,जिनमें उपमाओं का शृंगार हो, स्वयं में साहित्य हैं । ‘प्रणय बेलि ’ कवि श्री अमर नाथ सिंह द्वारा रचित काव्यमयी और प्रेरक पत्रों का संकलन है जिसे कवि ने अपनी प्रेयसी की अंतिम आकांक्षा के सम्मान स्वरूप में प्रकाशित किया है । सरि-सागर कि आकांक्षा है कि उनका प्रेम हर घर में पढ़ा जाये,हर घर में गाया जाये। यही प्रेम की साकार प्रतिष्ठा है।  

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अमर नाथ सिंह 'मोही'

कवि श्री अमर नाथ सिंह का जन्म उत्तरप्रदेश के जौनपुर जनपद के मछलीशहर तहसील के ग्राम बाहरपुर कलाँ में दिनाँक 28 अगस्त 1947 को हुआ था । शिक्षा ग्रहण करने के उपरांत नौकरी करने मुंबई चले गए और वहाँ पर नौकरी के साथ साथ साहित्य लेखन का कार्य प्रारम्भ किया। कवि श्रेष्ठ के शब्दों में-जब साहित्य को पढ़ना शुरू किया तो लगा कि मेरा ही दर्द हर कहानी में लिखा है,मै अपनी ही कहानी पढ़ रहा हूँ और अंतस में प्रेरणा हुई कि क्यों न अपनी ही व्यथा-कथा लिखूँ । फिर मैंने एक उपन्यास लिखा-“रूठे काजल टूटे घुँघरू” जो प्रकाशित नही हो सका । जब गद्य लिखने के लिए लेखनी उठाया तो कविता सृजित होने लगी। कवि की रचनाधर्मिता के कारण उन्हे  साहित्य श्री,साहित्य दीप,साहित्य आचार्य की उपाधियों से अलंकृत किया गया। 1984 में कवि का पहला काव्य संग्रह ‘पीर कांधे पर लिए’ प्रकाशित हुआ। उसके उपरांत कवि ने ‘मन ही मंदिर ’एवं  ‘मन मधुशाला’ काव्य संग्रह का सृजन किया । कवि आत्मिक प्रेम में अटूट आस्था एवं विश्वास रखते हैं  जिसकी झलक कवि की रचनाओं में मिलती है। कवि का प्रेम निश्चल,पावन और वासना से परे है।  

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