"प्रतिबिंब" एक बहुआयामी कृतियों का काव्य संग्रह है। इसमें कवयित्री ने जहां एक ओर स्नेह,सद्भावना और खट्टी मीठी स्मृतियों को छंदों में पिरोकर प्रस्तुत किया है वहीं दूसरी ओर उनकी कविताओं में भारतवर्ष के त्योहारों और ऋतुओं के माध्यम से जीवन के हर्षोल्लास और जनसामान्य के संघर्षों और उपलब्धियों की झांकी भी देखने को मिलती है। इनमें प्राचीन सभ्यता की उन्नति और अविरल परिवर्तन की झलक का बड़ी सहजता से चित्रांकन किया गया है।