कही भी अटक कर , ठिठककर रह जाने से आप जिंदगी को, अपने समय को , बरबाद करते हैं पर आपके साथ आपके सगे संबंधी आपके आसपास के लोग भी आपकी इस मनोदशा के विपरीत परिणाम झेलते हैं , इससे नकारात्मक वातावरण निर्मित होता है जो अच्छे जीवन के लिये सर्वथा प्रतिकूल स्थिति है । अत: अटक कर , ठिठककर नहीं रहें अपने जीवन के सभी आयामों को भरपूर जियें, अपनी मन:स्थिति को किसी एक चीज पर ही केन्द्रित करके सीमित न करें । जीवन को पूर्णता में देखें और सभी आयामों की जानकारी जुटायें, फिर से चीजों को नये सिरे से शुरू करें । नये दृष्टिकोण से चीजों को देखें ।
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