“शब्दों की दुनिया में बसती हूँ
जो हृदय कहे वही लिखती हूँ
पता क्या बताएं, गुमनाम हूँ
किया ही क्या है...
जो अपने बारे में कुछ कहूँ ?
अभी सीखना बहुत बाकी है,
तृष्णा शेष है,
सकल संसार मेरा साकी है !
पहचान मुझे न मिले...
तो ना सही,
शब्द मेरे अमर हो जाए,
बस आस यही !
किंचित अनुभवों का संचय,
तन सवि, मन कवि,
बस, यही मेरा परिचय !!”