जिस प्रकार से आज के समय में जनता विद्वानों से तरह-तरह के उल्टे सीधे सवाल करते हैं उसी प्रकार से प्राचीन समय में पैगंबर से भी तरह-तरह के उल्टे सीधे सवाल करते थे उसका उलट पैगंबर भी जनता से सवाल करते थे , लेकिन पैगंबर को इईश्वरीय ज्ञान द्वारा उचित ढंग से उत्तर दिया जाता था इस प्रकार से जनता संतुष्ट हो जाती थी लेकिन जिनको नहीं मानना था वह संतुष्ट नहीं होते थे और न हीं विश्वास करते थे।
उपरोक्त पुस्तक के शीर्षक के अनुसार ही इस पुस्तक में पैगंबर ने जनता से जो भी सवाल किया है उसका विवरण इसमें दिया है वहप पवित्र क़ुरआन में से ही लिया गया है।
जिस प्रकार से आज नास्तिकों के प्रश्न होते हैं सेम उसी प्रकार से उस जमाने में नबीयों से प्रश्न लोग करते थे। उसी प्रकार से पैगंबर भी जनता से सवाल करते थे।
लेकिन यह बात सभी जानते हैं कि हर प्रश्न का उत्तर नहीं दिया जा सकता क्योंकि उसे सिर्फ महसूस या अनुभव किया जा सकता है, देखा नहीं जा सकता।
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