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Rahasyamay Yatra / रहस्यमय यात्रा

Author Name: Raj Rishi Sharma | Format: Paperback | Genre : Young Adult Fiction | Other Details

जन्म जन्मांतर का फेर ! यह सदैव से ही मनुष्य के लिए एक कौतूहल का विषय रहा है। इसी विषय को लेकर लिखी गई यह यह एक बहुत ही रोचक, रोमांचक तथा रहस्यपूर्ण गाथा है। यहां लेखक अपने साथ साथ पाठकों को भी इस रहस्य्मय यात्रा पर ले जाता है। जिसे पढ़ने पर पाठक पूर्व जन्म के साथ साथ ही भविष्य में पुनर्जन्म के सिद्धांत पर भी सोचने के लिए विवश हो जाता है। इस गाथा को पढ़ना आरम्भ करने पर इसे   समाप्त किये बिना रहा ही नहीं जा सकता।

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राज ऋषि शर्मा

       राज ऋषि शर्मा एक जाने माने लेखक, कवि तथा साहित्यकार होने के साथ साथ ही एक अच्छे चित्रकार भी हैं। राज ऋषि शर्मा की अनेक रचनाएँ विभिन्न पत्र पत्रिकाओं तथा संग्रहों में प्रकाशित हो चुकी हैं। इन की प्रमुख प्रकाशित पुस्तकों में 'सपनों की दुनिया' (विश्लेषणात्मक) का नाम लिया जा सकता है, जो स्वप्न विश्लेषण तथा इसके संदर्भ में विस्तृत मनोविज्ञान तथा विज्ञान पर आधारित है। इसके अतिरिक्त इनकी 'सफल जीवन' नाम की प्रेरणात्मक पुस्तक भी विशेष चर्चा में है। जिस में जीवन में सफलता के विपरीत 'सफल जीवन' पर ध्यान केंद्रित किया गया है। 

      इन की अन्य पुस्तकें हैं, ‘स्वप्न विश्लेषण (विश्लेषणात्मक), सपनों का मायाजाल (विश्लेषणात्मक), 'बहती धारा नदिया की' का द्वितीय संस्करण पल भर की छाँव (लोक-परलोक पर आधारित रोमांटिक उपन्यास), ऐसा होता तो नहीं (रोचक उपन्यास), रहस्यमय यात्रा (रोमांचक उपन्यास), अदृश्य लोक (विश्लेषणात्मक), जीना इसी का नाम है (प्रेरणात्मक), मैं साधु नहीं (आध्यात्मिक विवेचनात्मक), आप स्वयं को बदल सकते है (प्रेरणात्मक), आओ कुछ देर सोच लें (प्रेरणात्मक), सुहाने पल (काव्य-संग्रह) हवाओं का आंचल (सम्पादित,काव्य-संग्रह), चांदनी (लघु उपन्यास), मरने से पहले (विचारात्मक),हर वर्ष पुनर्जन्म' (ई-बुक), एवं स्वप्न संसार (ई-बुक)। अनेक विधाओं में इन की विभिन्न रचनाएँ रेडियो कश्मीर जम्मू द्वारा भी प्रसारित हो चुकी हैं। 

       राज ऋषि शर्मा १९७५ में 'महक' पत्रिका के संपादक एवं प्रकाशक भी रहे हैं एवं इसके साथ ही १९७७ में 'राजर्षि कल्चर क्लब' का संचालन भी इन की प्रमुख गतिविधियों में सम्मिलित रहा है। इन दिनों लेखन कार्य के साथ साथ 'महकती वाटिका' नामक काव्य संग्रह का श्रृंखलाबद्ध रूप से सम्पादन व प्रकाशन भी कर रहे हैं।

     राज ऋषि शर्मा 'साहित्यालंकार' तथा 'साहित्य श्री' की उपाधि से भी सम्मानित किये जा चुके हैं।

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