इसके पहले कि मेरे सुधि पाठक इस उपन्यास को पढ़ना आरम्भ करें, मैं उन्हें सावधान कर देना अपना कर्तव्य समझता हूँ कि यह ‘रूह कांपती है' एक बहुत ही भयानक उपन्यास है और इस का अधिकांश भाग पूर्णतया सत्य है। कृपा कमजोर दिल के पाठक इस उपन्यास को पढ़ने का जोखिम ना उठाएं।
इस उपन्यास का कथानक उनके स्वास्थ्य एवं भावनाओं को आहत भी कर सकता है। इसे पढ़ने वाला कोई भी पाठक कभी भी किसी भी समय अकेले में या रात को पढ़ने पर रात के समय डर सकता है।
इस उपन्यास को लिखते समय तो कई बार मैं भी भयभीत हो जाता था। मुझे भी अपने आसपास भयावने वातावरण का आभास होने लगता था और कंपकंपी सी छा जाती थी।
इसलिए ही ऐसे पाठकों से जिन्होंने इस उपन्यास को अपने हाथ में लिया हुआ है और इसे पढ़ने की इच्छा रखते हैं, उन से मैं निवेदन करना चाहूँगा कि इसे एक ही बार और वो भी रात के समय एकांत में पढ़ने का प्रयास ना करें।
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