गगन के वितान से भी विशाल कल्पना-लोक होता है किसी भी कवि का। बस किसी भी कविता की श्रेष्ठता उसकी मौलिकता में छिपी होती है। प्रत्येक कवि की रचना अपने आप में एक विशेष लालित्य लिये होती है। प्रत्येक कवि के निजी विचार और उन विचारों को अभिव्यक्त करने की शैली प्रत्येक कवि को अन्य कवियों से भिन्न पहचान देती है। लाखों कविताएँ नित्य जन्म लेती हैं और अनन्त काल तक जन्म लेती रहेंगी। कवि को अपनी आलोचना से विचलित नहीं होना चाहिए, आलोचना से उसकी कविता उत्तरोत्तर समृद्ध होती जाती है। यह भिन्न बात है कि आलोचक के पास आलोचना करने की पात्रता हो। मेरी कविताएँ मेरे स्वभाव, चरित्र का श्रेष्ठ दर्पण हैं। कविता का मूल्यांकन तो पाठक ही करता है। अतः सभी गुणी पाठकों से मेरा विनम्र निवेदन है कि मेरी रचनाओं को प्रत्येक पूर्वाग्रह अथवा दुराग्रह से मुक्त हो कर पढ़ें और अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया दें।
साहित्य धरा प्रकाशन के प्रति अपना आभार प्रकट करता हूँ जिनके सहयोग से यह काव्य-संकलन प्रकाशित हो सका।