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SUDHI KI LAU / सुधि की लौ KAVYA APRAJITA

Author Name: Vijay Shankar Prasad | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

मूलतः  सच की असली अदा कविता ही है और इसके कारण ही कवि और कविता का अस्तित्व है। मानवता के लिए समर्पण भावों को जगाना सही और आवश्यक भी है। चाटुकारिता के अंधकार में सत्य छिप जाता है लेकिन सुधि की लौ में सदैव सम्मुख होता है,प्रकट होता है। काव्य संग्रह ‘सुधि की लौ’ में रचनाकार ने अपनी विशेष शैली में प्रत्येक पंक्ति में अपने अनुभव के प्रकाश में  एक पूर्ण सत्य प्रकट करने का प्रयास किया है। 

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विजय शंकर प्रसाद

विजय शंकर प्रसाद, सहायक शिक्षक ,राजकीय बुनियादी विद्यालय , मौना ,पोस्ट - गोरौल ,प्रखंड -पटेढी बेलसर ,जिला -वैशाली (जन्म तिथि -05-07-1972) मुजफ्फरपुर के निवासी हैं । रसायन विज्ञान में विशेष योग्यता रखते हैं । कवि के पिता  स्व दीनेश्वर प्रसाद सिन्हा शिक्षा विभाग में लिपिक थे। सेवानिवृत्ति के बाद कवि का  जीवन अपने पिता से प्रभावित था। कवि मध्यमवर्गीय परिवार के हैं और कवि नागार्जुन और कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी को अपना आदर्श मानते हैं ।

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